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प्रश्न) मुतवल्ली कौन है? उसे कौन नियुक्त कर सकता है तथा उसको कब दंण्डित तथा निश्कसित किया जा सकता है?
उत्तर)- मुतवल्ली वक़्फ सम्पत्ति का प्रबंधक होता है। जिसको सेवाओं के बदले पारिश्रमिक प्राप्त करने का अधिकार है वक़्फ अधिनियम 1923 की धारा 2(ग) के अनुसार-
मुतवल्ली” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो या तो मौखिक रूप से या किसी ऐसे विलेख या लिखत के अधीन, जिसके दवारा किसी वक्फ का सृजन किया गया है अथवा सक्षम अिधकारिता वाले न्यायालय द्वारा, किसी वक्फ का मुतवल्ली नियुक्त किया गया है तथा नायब मुतवल्ली या मुतवल्ली के कतर्व्य का पालन करने के लिए मुतवल्ली द्वारा नियुक्त अन्य व्यक्ति इसके अन्तगर्त है तथा इस अिधिनयम मे अन्यथा उपबंधित के सिवाय वह व्यक्ति भी इसके अंतगर्त है जो तत्समय किसी वक्फ सम्पत्ति का प्रशासन कर रहा है”
मुतवल्ली कौन हो सकता है-
1.    मुस्लिम या गैर मुस्लिम मुतवल्ली हो सकता है
2.    महिला या पुरुष हो सकता है लेकिन जब धार्मिक कार्य करने हैं जो केवल पुरुष कर सकते हैं तो वहां महिला मुतवल्ली नहीं हो सकती
3.    वाकिफ स्वयं या उसके बच्चे या वंशज मुतवल्ली हो सकते है।
4.    क पागल मुतवल्ली नहीं हो सकता
5.    अव्यस्क समान्यत: मुतवल्ली नहीं होता पर यदि पद पैतृक हो तो अव्यस्क भी मुतवल्ली हो सकता है

मुतवल्ली का पारिश्रमिक
मुतवल्ली को सेवाओं के बदले पारिश्रमिक प्राप्त करने का अधिकार है परिश्रमिक बंधा हुआ हो सकता है, यह लाभ में से हिस्सा भी हो सकता है यदि वाकिफ ने निश्चित नहीं किया कि कितना पारिश्रमिक दिया जाएगा तो न्यायालय निश्चित कर सकता है लेकिन वह वक्फ संपत्ति की आय का 10 परसेंट से ज्यादा नहीं होगा
मुतवल्ली की नियुक्ति कौन कर सकता है-
    1. वाकिफ स्वयं
    2. वाकिफ का निष्पादन
    3. मृत्यु शैया से स्वयं मुत्तवल्ली
    4. न्यायालय
    5. धर्मसभा
मुतवल्ली की शक्तियां और कर्तव्य
मुतवल्ली ऐसे सभी कार्य कर सकता है जो परिस्थितियों के अनुसार वक्फ सम्पत्ति कि रक्षा एवं वक्फ के प्रशासन के लिये युक्तियुक्त और उचित हो। मुतवल्ली की शक्तियां और कर्तव्य न्यासी जैसे होते है। परन्तु न्यास मे न्यास का स्वामित्व न्यासी मे निहित होता है परन्तु वक्फ मे अल्लाह मे निहित होता है, मुतवल्ली सम्पत्ति का प्रबंधक मात्र होता है। वह अपनी इच्छा से वक्फ का प्रबंध करने की शक्ति नही रखता। उसे वाकिफ द्वारा निर्धारित उद्देश्यों एवं निदेशो का पालन करना होता है। वह वक्फ सम्पत्ति को अंतरित या भारित तभी कर सकता है जब वह:
1.    वक्फनामे के प्रावधान द्वारा ऐसा करने के लिए प्राधिकृत हो या
2.    न्यायालय से अनुमति प्राप्त कर ले या
3.    तात्कालिक आवश्यकता के कारण विवश हो
अन्यथा नही।

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