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#पूर्व _क्रयाधिकार_के_लिए_औपचारिकताएं_या_तीन_तलब #three_demands_of_pre-emption_in_hindi #MuslimLaw

पूर्व   क्रयाधिकार के लिए औपचारिकताएं या तीन तलब- मुस्लिम विधि के अंतर्गत पूर्व   क्रयाधिकार के दावे को प्रभावी करने के लिए कुछ आवश्यक औपचारिकताएं निर्धारित है जिन्हे तीन तलब भी कहा जाता है । संपत्ति का बैनामा पूर्ण होने पर पूर्वक्रयाधिकार के दावे को प्रभावी कराने के लिए निर्धारित औपचारिकताओं में तीन तलाक अथवा मांगे आती हैं जिन्हें क्रमश एक के बाद एक मांग के रूप में प्रस्तुत करना होता है।ये तीन मांगे निम्न है – 1)      प्रथम मांग या   तलब ए मोवसिबत- पूर्वक्रयाधिकार के दावे को प्रभावी कराने के लिए प्रथम मांग प्रारंभिक कार्यवाही है। प्रथम मांग पूर्व क्रयाधिकारी कि वह प्रथम घोषणा है जिसके द्वारा वह पूर्व क्रयाधिकार को प्रभावित करने के अपना मंतव्य अविलंब स्पष्ट करता है।इसकी कुछ महत्वपुर्ण बिंदु निम्न है- a.        प्रथम मांग विक्रय पूर्ण हो जाने के पश्चात ही प्रस्तुत की जानी चाहिए। रजिस्ट्री से पूर्व विक्रय पूर्ण नहीं माना जाता। (परंतु कुछ विधिशास्त्रियों का मत है कि पूर्व क्रयाधिकार का दावा विक्रय पूर्ण होने से पूर्व ही किया जा सकता है , जब विक्रय पूर्ण हो जाता है तो पूर्व क्र

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प्रश्न) पूर्व क्रयाधिकार से आप क्या समझते है इसके प्रमुख तत्वो कि विवेचना किजिये ? इस अधिकार का प्रयोग कौन कर सकता है ?     उत्तर) पूर्व क्रयाधिकार का अर्थ पहले खरीदने के हक से हैं । यह अचल संपत्ति के स्वामी का वह अधिकार है जिसके अंतर्गत वह किसी अन्य अचल संपत्ति को खरीद सकता है , जिसका विक्रय किसी अन्य व्यक्ति को किया गया है। इसे शुफा भी कहते हैं । पूर्व क्रयाधिकार के अंतर्गत अचल   संपत्ति का स्वामी संलग्न संपत्ति के बेचे जाने पर उसे स्वयं क्रय कर लेने का अधिकारी होता है। शुफा के अधिकार की व्युत्पत्ति मोहम्मद साहब के कथन ( सुन्नत ) से मानी जाती है उन्होंने कहा है कि ' किसी मकान के पड़ोसी को उस मकान पर किसी अज्ञात व्यक्ति की तुलना में श्रेष्ठ अधिकार (सुपीरियर राइट) है और किसी भूमि के पड़ोसी को उस भूमि पर अज्ञात व्यक्ति की तुलना   में श्रेष्ठ अधिकार है...... तथा यदि वह अनुपस्थित हो तो विक्रेता को उसके आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। '   मुल्ला के अनुसार   ' शुफा का अधिकार एक ऐसा अधिकार है जिसके अंतर्गत किसी अचल संपत्ति का स्वामी किसी व्यक्ति को बेची गई अन्य अ

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पृश्न)   हिबा के आवश्यक शर्तो कि व्याख्या किजिये । क्या हिबा पर सम्पत्ति अंतरण अधिनियम 1882 के प्रावधान लागू न करना , अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है , जबकि सम्पत्ति अंतरण अधिनियम 1882 के प्रावधान   अन्य समुदाय के लोगो पर लागू होते है ? क्या यह कथन सत्य है कि हिबा कि ^jftLVªh u rks vfuok;Z gS u gh Ik;kZIr gSA विवेचना किजिये। उत्तर)   nku djuk ,d /kkfeZd dk;Z gS D;ksfd iSxEcj eqgEen us dgk gS fd ^ijLij izse ,oa lnHkkouk dh o`f) ds fy, rqe ,d nwljs dks HksVks dk vknku iznku djrs रहो। gsnk;k के अनुसार & fgck fdlh orZeku lEifRr ds LokfeRo dk izfrQy jfgr ,oa fcuk शर्त ds fd;k x;k rqjar izHkkoh gksus okyk varj.k gSA eqYyk के अनुसार & fgck rqjar izHkkoh gksus okyk lEifRr dk ,d ,slk vUrj.k gS tks fcuk fdlh fofue; ds ,d O;fDr }kjk nwljs O;fDr ds i{k es fd;k tk, rFkk nwljs O;fDr }kjk bls Lohdkj dj fy;k tk,A हिबा की आवश्यक शर्ते sZ & 1-    nku dh ?kks"k.kk ekSf[kd ;k fyf[kr gks ldrh gSA 2-    jftLVªh - हिबा कि रजिस्ट्री आवश्यक ugh   इलाही सम्स