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प्रश्न) पूर्व क्रयाधिकार से आप क्या समझते है इसके प्रमुख तत्वो कि विवेचना किजिये? इस अधिकार का प्रयोग कौन कर सकता है?   

उत्तर) पूर्व क्रयाधिकार का अर्थ पहले खरीदने के हक से हैं । यह अचल संपत्ति के स्वामी का वह अधिकार है जिसके अंतर्गत वह किसी अन्य अचल संपत्ति को खरीद सकता है, जिसका विक्रय किसी अन्य व्यक्ति को किया गया है। इसे शुफा भी कहते हैं । पूर्व क्रयाधिकार के अंतर्गत अचल  संपत्ति का स्वामी संलग्न संपत्ति के बेचे जाने पर उसे स्वयं क्रय कर लेने का अधिकारी होता है।
शुफा के अधिकार की व्युत्पत्ति मोहम्मद साहब के कथन ( सुन्नत ) से मानी जाती है उन्होंने कहा है कि
' किसी मकान के पड़ोसी को उस मकान पर किसी अज्ञात व्यक्ति की तुलना में श्रेष्ठ अधिकार (सुपीरियर राइट) है और किसी भूमि के पड़ोसी को उस भूमि पर अज्ञात व्यक्ति की तुलना  में श्रेष्ठ अधिकार है...... तथा यदि वह अनुपस्थित हो तो विक्रेता को उसके आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।'
 मुल्ला के अनुसार
 'शुफा का अधिकार एक ऐसा अधिकार है जिसके अंतर्गत किसी अचल संपत्ति का स्वामी किसी व्यक्ति को बेची गई अन्य अचल संपत्ति को क्रय कर सकता है।'
 इस अधिकार के दावेदार को पूर्व  क्रयाधिकारी या शफी कहते हैं।
पूर्व क्रयाधिकार से तात्पर्य उस अधिकार से हैं जिसके प्रयोग द्वारा किसी अचल संपत्ति का स्वामी पड़ोस की संपत्ति बिकने पर क्रेता को इस बात के लिए बाध्य कर देता है कि वह अचल संपत्ति उसके पक्ष में विक्रय कर दे। उदाहरण के लिए तथा क्रमशः अपने मकानों के स्वामी हैं और इन दोनों के मकान पास पास हैं। स्वामी होने के कारण अपने मकान को अपनी इच्छा अनुसार किसी व्यक्ति को बेच देता है। यदि अपने पक्ष में शुफा का अधिकार सिद्ध कर दे तो उसे पूर्व क्रेता कहा जाएगा। पूर्व क्रेता होने के नाते उसे क्रेता के पक्ष में बिके हुए मकान को उससे पुनः क्रय करके के स्थान पर स्वयं स्थापित हो जाने का अधिकार है।     

पूर्व क्रय कौन कर सकता है या पूर्व क्रय अधिकारियों का वर्गीकरण
सुन्नी विधि के अंतर्गत पूर्वक्रयाधिकार का दावा करने वालों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है जो भी व्यक्ति इन 3 वर्गों में से किसी में भी नहीं आते वे पूर्व  क्रयाधिकार का दावा नहीं कर सकते पूर्व के अधिकार का दावा करने वाले तीन व्यक्ति निम्न है-

  • 1.   शुफा ए शरीक या सह अंशधारी- किसी एक व्यक्ति के उत्तराधिकारीगण आपस में सह अंशधारी कहलाते हैं ।
  • 2.       शुफा ए खालित या सुविधाओं के सहभोगी-  उदाहरण के लिए रास्ते के अधिकार के सहभोगी
  • 3.       शुफा ए जार - अर्थात संलग्न संपत्तियों के स्वामी

इस वर्गीकरण में प्रथम वर्ग के क्रेता द्वितीय वर्ग के पूर्व  क्रयाधिकारी को अप वर्जित करेंगे अर्थात उन्हें वरीयता मिलेगी और द्वितीय वर्ग के क्रेता तृतीय वर्ग के पूर्व  क्रयाधिकारी को अप वर्जित करेंगे। यदि एक ही वर्ग के दो या अधिक पर पूर्व  क्रयाधिकारी है तो समान रूप से उनको पूर्व क्रय का अधिकार रहेगा।
शिया विधि में केवल प्रथम वर्ग शुफा ए शरीक अर्थात सह अंशधारी के पूर्व  क्रयाधिकार को ही मान्यता दी गई है। इसके अनुसार केवल सह अंशधारी ही पूर्व क्रयाधिकार के अधिकारी हो सकता है। और अंशधारी को भी यह अधिकार तभी प्राप्त होता है जब वह दो या दो से कम हो। अर्थात यदि शुफा ए  शरीक दो या दो से अधिक होते हैं तो उन्हें यह पूर्वक्रयाधिकारी नहीं मिलता है और यदि सह अंशधारियों की संख्या 2 से ज्यादा न हो तो अपने हिस्से के अनुपात में ही पूर्व  क्रयाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।


पूर्व क्रयाधिकार के प्रमुख तत्व-
  • 1.       पूर्व क्रयाधिकार एक साम्पत्तिक अधिकार है जो किसि अचल सम्पत्ति के स्वामी को हि प्राप्त हो सक्ता है।
  • 2.       इस अधिकार के अंतर्गत पूर्व क्रयाधिकारी अपनी अचल सम्पत्ति से संलग्न किसी अन्य अचल सम्पत्तिके बिक जाने पर क्रेता के स्थान पर स्वय को प्रतिस्थापित कर लेता है।
  • 3.       पूर्व क्रयाधिकारी बिकी हुई सम्पत्ति को क्रेता से उन्ही शर्तो पर पुनः क्रय करने का अधिकारी होता है जिनमे क्रेता ने उन्हे क्रय किया है।
  • 4.       इस अधिकार का प्रयोग मुस्लिम अथवा गैर मुस्लिम किसी भी क्रेता के विरुद्ध किया जा सकता है।
  • 5.       इस अधिकार का प्रयोग करने के लिये शफी (पूर्वक्रयाधिकारी) और विक्रेता का मुस्लिम होना आवश्यक है।
  • 6.       यह एक प्रकार का विशेषाधिकार है जिसके द्वारा अचल संपत्ति का स्वामी अपनी संपत्ति का शांतिपूर्ण उपयोग करने की सुविधा प्राप्त करता है।
  • 7.       पूर्व क्रयाधिकार केवल संपत्ति के वैध विक्रय पर उत्पन्न होता है यदि संपत्ति का हस्तांतरण हिबा, वक्फ या वसीयत आदि द्वारा किया गया है तो शुफा का कानून लागू नहीं होगा।
  • 8.       पूर्व क्रयाधिकारी को उस अचल संपत्ति का स्वामी होना चाहिए मात्र कब्जे के आधार पर इस अधिकार का प्रयोग संभव नहीं रहता है।


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Dr Nupur Goel
Assistant Professor
Shri ji institute of legal vocational education and research
( SILVER law collage )
Barkapur Bareilly
Email – nupuradv@gmail.com

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