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#Muslim_Law #DrNupurGoel #मुस्लिम_विधि_के_अंतर्गत_उत्तराधिकार_से_अपवर्जन_के_नियम #rules_of_exclusion_of_a_heir_under_Muslim_Law_in_Hindi

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प्रश्न) मुस्लिम उत्तराधिकार विधि के अंतर्गत उत्तराधिकार से अपवर्जन के नियमो का वर्णन किजिये। उत्तर) मृतक का प्रत्येक उत्तराधिकारी उसकी संपदा को अपने निर्धारित अंशो में प्राप्त करने का अधिकारी है बशर्ते अपवर्जन के नियमों के अंतर्गत उसे उत्तराधिकार से वंचित न कर दिया गया हो । कुछ परिस्थितियों में मुसलमान व्यक्ति अपने पूर्वजों की संपत्ति पर उत्तराधिकार प्राप्त करने के अयोग्य मान लिए जाते हैं जैसे हत्या , धर्म परिवर्तन आदी। परन्तु पागलपन , चरित्रहीनता अथवा शारीरिक दोष उत्तराधिकार के लिए कोई अयोग्यता नहीं मानी जाती हैं और इस आधार पर किसी व्यक्ति को उत्तराधिकार से वंचित भी नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम विधि के अंतर्गत उत्तराधिकारियों को अपवर्जित तथा मृतक की संपदा से उन्हें वंचित किए जाने के लिए निम्नलिखित परिस्थितियां है - 1.       दासता Slavery 2.       मानव हत्या Homicide 3.       इस्लाम धर्म का त्याग conversion to another religion 4.       अधर्मजता Illegitimacy 5.       स्थानीय प्रथा या अधिनियम के अंतर्गत पुत्रियों का अपवर्जन Exclusion of Daughters under Custom or Statut

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प्रश्न) मुस्लिम विधि के अंतर्गत उत्तराधिकार के सामान्य सिद्धांतो का वर्णन किजिये। या मुस्लिम विधि के अंतर्गत मृतक का निकट संबंधी मृतक के दूर के संबंधी के अधिकार को समाप्त कर देता है। विवेचना किजिये। उत्तर)   मुस्लिम विधि के अंतर्गत उत्तराधिकार के सामान्य सिद्धांत 1)       दाय योग्य संपत्ति की प्रकृति Heritable property -   मृतक की संपदा में से अंत्येष्टि- संस्कार , उसके ऋणो का भुगतान तथा   वसीयतदारो को संपत्तियां प्रदान कर देने के पश्चात जो संपत्ति बची रहती है उसे दाय योग संपत्ति कहते हैं।   मुस्लिम विधि के अंतर्गत मृतक द्वारा छोड़ी गई चल- अचल , मूर्त- अमूर्त सभी प्रकार की संपत्ति दाय योग्य मानी जाती है। उत्तराधिकार के लिए मुस्लिम विधि के अंतर्गत संपत्ति की काय ( corpus) तथा उसके लाभांश ( usufruct) में कोई अंतर नहीं है दोनों दो दाय योग्य संपत्ति हैं। शिया   विधि के अंतर्गत संतान विहीन विधवा मृतक पति की केवल चल संपत्तियों में से ही अपना निर्धारित हिस्सा प्राप्त करने की अधिकारी हैं। 2)       संयुक्त अथवा पैतृक संपत्ति Joint or Ancestral property -   मुस्लिम विधि में